वैदिक ज्योतिष - क्या है !
वैदिक ज्योतिष, जिसे भारतीय ज्योतिष या हिन्दू ज्योतिष भी कहा जाता है, एक प्राचीन भारतीय विज्ञान है जो ग्रहों, नक्षत्रों, राशियों, और अन्य केंद्रीय आकारों के अध्ययन पर आधारित है। वैदिक ज्योतिष का विकास भारतीय संस्कृति और धर्म के साथ संबद्ध है और इसे वेदों में मिलने वाली ज्योतिष्क जानकारी के आधार पर विकसित किया गया है।
वैदिक ज्योतिष के मुख्य आधार हैं ग्रहों की गति और उनके प्रभाव पर। इन ग्रहों को नवग्रह कहा जाता है और इनमें सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु शामिल हैं। ये नवग्रह जातक की कुंडली में स्थिति और गति के आधार पर उनका प्रभाव दर्शाते हैं।
वैदिक ज्योतिष में चार मुख्य अंग होते हैं: गणित, गणितीय ज्ञान, फलित और मुहूर्त। गणित में ग्रहों की स्थिति और उनकी गति का अध्ययन किया जाता है, जबकि गणितीय ज्ञान में कुंडली के घटकों के आधार पर व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं का विश्लेषण किया जाता है। फलित में जातक के भविष्य के बारे में जानकारी दी जाती है, और मुहूर्त में शुभ समय की खोज की जाती है जिसमें किसी कार्य की शुरुआत का समय निर्धारित किया जाता है।
वैदिक ज्योतिष का इतिहास बहुत प्राचीन है और इसका विकास वेदों के समय से ही शुरू हुआ है। वेदों में ग्रहों और नक्षत्रों के आध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्व पर जोर दिया गया है और ज्योतिष का उल्लेख भी मिलता है। वैदिक ज्योतिष का प्रभाव भारतीय समाज में बहुत गहरा है और यहाँ जन्मकुंडली का विश्लेषण किया जाता है ताकि जातक के जीवन में आने वाली समस्याओं का समाधान किया जा सके।
वैदिक ज्योतिष का विषय बहुत व्यापक है और यहाँ पूरा लेख नहीं लिखा जा सकता है। इसमें ग्रहों की चाल, कुंडली के घटक, मुहूर्त विज्ञान, नक्षत्र विज्ञान, राशि विज्ञान, योग विज्ञान, फलित विज्ञान, उपाय विज्ञान, ग्रहों के प्रभाव का अध्ययन और ज्योतिष की इतिहास शामिल है।