एकादशी एक महत्वपूर्ण हिंदू धार्मिक त्योहार है जो हर माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। यह त्योहार भगवान विष्णु को समर्पित है और भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करने से श्राद्धा, सभी पापों से मुक्ति, धन, समृद्धि, और सुख-शांति प्राप्त होती है। वरुथिनी एकादशी का महत्व वेद पुराणों में विस्तार से वर्णित है।
पंचांग : वरुथिनी एकादशी का व्रत 4 मई, 2024 दिन शनिवार को रखा जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, 03 मई, 2024 दिन शुक्रवार रात्रि 11 बजकर 24 मिनट पर वैशाख माह के कृष्ण पक्ष के एकादशी तिथि की शुरुआत होगी। वहीं, इसका समापन अगले दिन 4 मई, 2024 दिन शुक्रवार रात्रि 08 बजकर 38 मिनट पर होगा। पंचांग को देखते हुए 4 मई को वरुथिनी एकादशी का व्रत रखा जाएगा।
कथा: एक बार महाभारत काल में भीष्म पितामह ने भीष्म स्थविरा के प्रश्न का उत्तर दिया था जिसमें उन्होंने कहा था कि वरुथिनी एकादशी का व्रत करने से मनुष्य को सभी पापों से मुक्ति मिलती है और उसके आत्मा को स्वर्ग जाने का मार्ग प्राप्त होता है।
पर्व की विधि: इस एकादशी को मनाने के लिए भक्तों को उपवास करना चाहिए। उपवास के दौरान भगवान विष्णु और माँ लक्ष्मी की पूजा की जाती है। लोग उत्तम भोजन, ध्यान, और भगवान की भक्ति में समय व्यतीत करते हैं। इस दिन गंगाजल से नहाना और पूजन करना भी शुभ माना जाता है।
♦ भक्तजन सुबह जल्दी उठकर पवित्र स्नान करें।
♦ घर और विशेषकर मंदिर को अच्छी तरह से साफ सफाई कर भगवान विष्णु, भगवान कृष्ण और लड्डू गोपाल जी की प्रतिमा को स्थापित कर अभिषेक करें।
♦ उन्हें पीले वस्त्रों से सजाएं और पीले चंदन का तिलक लगाएं।
♦ मूर्ति के सामने देसी घी का दीपक जलाएं और पूरी श्रद्धा से एकादशी व्रत करने का संकल्प लें।
♦ ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का 108 बार जाप करें और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
♦ भगवान को पंचामृत और तुलसी दल अर्पित करें।
♦ पूजा का समापन आरती से करें।
♦ शाम के समय भी भगवान विष्णु की पूजा विधि अनुसार करें।
♦ अगले दिन द्वादशी तिथि में व्रत का पारण पूजा के बाद करें।
♦ गरीबों व ब्राह्मणों को भोजन कराएं अथवा यथासंभव दान-दक्षिणा दें।
प्रसाद: विशेष रूप से वरुथिनी एकादशी के दिन तुलसी के पत्ते, खीर, दही, फल, पूरी, आलू की सब्जी, और शक्करपारे इत्यादि की पूजा की जाती है और इन्हें प्रसाद के रूप में भक्तों को बांटा जाता है।
महत्व: इस एकादशी का व्रत करने से विवाहित लोगों को धर्मपत्नी की कृतज्ञता करनी चाहिए और उन्हें धन, सुख, और समृद्धि का आनंद लेना चाहिए। यह व्रत बच्चों की भाग्यशाली भविष्य के लिए भी किया जाता है। इसका पालन करने से भगवान विष्णु की कृपा मिलती है और उसकी आस्था बढ़ती है।
इस्तोत्र: सभी एकादशी के दिन विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। इसके अलावा, भगवान विष्णु का ध्यान और जप करना चाहिए।
समापन: प्रत्येक एकादशी व्रत का पालन करने से भक्त धन, समृद्धि, और सुख-शांति का अनुभव करते हैं और उनके जीवन में खुशियां आती हैं। यह व्रत भगवान विष्णु की कृपा को प्राप्त करने का अच्छा तरीका है और भक्त को धर्म, अर्थ, काम, और मोक्ष की प्राप्ति में सहायता करता है।